नागेश्वर ज्योतिर्लिंग : शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में दसवें ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध है।
PUBLISHED : Jul 30 , 7:01 AM
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग : शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में दसवें ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध है।
श्रावण माह भगवान शिव को अति प्रिय है। श्रावण महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। गुजरात के द्वारका धाम से करीब 16 किलोमीटर दूर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है। ये भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में दसवें ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध है। शिव पुराण के अनुसार श्रावण महीने में इस प्राचीन नागेश्वर शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्त्व है। माना जाता है ये मंदिर करीब 2500 साल पुराना है।
भगवान शिव का एक अनन्य भक्त सुप्रिय नामक व्यापारी था। जिसे एक दिन दारुक नाम के राक्षस ने कारागार में बंद कर दिया और तरह-तरह के कष्ट दिए, लेकिन वह अपनी भक्ति पर अटल रहा। आखिर में दारुक ने एक दिन जब वह पूजा में मग्न था, उस पर अत्यंत क्रोध करना शुरू कर दिया, लेकिन वह अपने आराध्य भगवान शिव से प्रार्थाना करता रहा, आखिर में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में कारागार में प्रकट हुए और सुप्रिय को पाशुपतास्त्र दिया ताकि वह अपनी रक्षा कर सके। इस अस्त्र से सुप्रिय ने राक्षस दारुक तथा उसके अनुचरों का वध कर दिया। उसी समय से भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
मंदिर के पास है करीब 80 फुट ऊंची मूर्ति
मंदिर परिसर में भगवान शिव की पद्मासन मुद्रा में एक विशालकाय मूर्ति है। जो करीब 80 फुट ऊंची है। जो यहां का मुख्य आकर्षण है। इस मूर्ति के आसपास पक्षियों का झुंड मंडराता रहता है। भक्त यहां पक्षियों के लिए अन्न के दाने भी डालते हैं। माना जाता है कि सावन महीने में इस प्राचीन नागेश्वर शिवमंदिर में स्थापित शिवलिंगों की एक साथ पूजा-अर्चना का विशेष महत्त्व है। मंदिर में इन अद्भुत शिवलिंगों के दर्शन और पूजन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। सावन में विशेष रूप से सोमवार को खासी भीड़ रहती है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से ही खत्म हो जाते हैं पाप
गर्भगृह सभामंडप से निचले स्तर पर है। ज्योतिर्लिंग सामान्य बड़े आकार का है, जिस पर एक चांदी का आवरण चढ़ा रहता है। ज्योतिर्लिंग पर ही एक चांदी के नाग की आकृति बनी हुई है। गर्भगृह में पुरुष भक्त धोती पहनकर ही प्रवेश कर सकते हैं, वह भी तभी जब उन्हें अभिषेक करवाना है। शिवपुराण के अनुसार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद उसकी उत्पत्ति और माहात्म्य संबंधी कथा को सुनने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।