सामाजिक समतलीकरण के लिए आज की जरूरत
PUBLISHED : Jul 30 , 6:46 AM
सामाजिक समतलीकरण के लिए आज की जरूरत
डॉक्टर वरदानी प्रजापति गाजियाबाद
सामाजिक समतलीकरण जमीन के समतलीकरण जैसा ही है। बहुत अधिक उबड़ खाबड़ जमीन का अकस्मात समतलीकरण बिना सिंचाई की नियमित व्यवस्था के लाभदायक नहीं रहता। अधिक असमतल जमीन के समतलीकरण में नीचे की बालू ऊपर आ जाने से मिट्टी का कटाव और बढ़ जाने से वह जमीन फिर से असमतल ही हो जाती है। ऐसी जमीन को बंधे डाल कर समतल भागों को अलग-अलग करके ठीक करना ज्यादा उपयोगी रहता है। जहां ढलान कम हो वहीं पर समतलीकरण उपयुक्त रहता है। भारतवर्ष का सामाज बहुत उबड़ खाबड़ है अतः अचानक बुलडोजर चलाकर इसे समतल तो बनाया जा सकता है लेकिन यह फिर से असमतल हो जाएगा। भूमि तो समतल हो जाएगी लेकिन बिना हरियाली लाये इस समतलीकरण का कोई मतलब नहीं है । हरियाली बनाए रखने के लिए खाद पानी का प्रबंधन जरूरी है और उसका क्षरण रोकना भी जरूरी है । उसे समतल करके आवारा छोड़ने पर वह पुनः अपनी असमतल स्थिति में आ जायेगा । ऐसी ही स्थिति भारतीय समाज में भी है। भारतीय समाज भी बहुत असमतल या उबड़ खाबड़ है, जिसके सभी स्थानों पर जमीन की तरह बराबर उर्वरता भी नहीं है और बरसात का पानी भी सभी जगह समान रूप से नहीं रुकता है। इसीलिए सभी स्थानों में पानी रोकने के लिए कुछ वर्षों के लिए भारतीय समाज में भी बंधे लगा कर उसका वर्गीकरण जरूरी है। ऐसा करने से भी जमीन स्वतः समतल होने लगती है। अगर बंधे नहीं लगे तो ऊपर की सूखी जमीन का पानी नीचे की अच्छी जमीन में ही पहुंच जाता है और अपने साथ मलाईदार मिट्टी भी बहाकर ले जाता है । यही स्थिति हमारे भारतीय समाज की हो रही है। कमजोर समाज की क्रीम या मलाई अच्छी उपजाऊ मिट्टी में जाकर एकत्र हो जा रही है। इससे सूखी मिट्टी की पैदावार निरंतर कम होती जाती है और जहां पहले से हरियाली थी वहीँ और ज्यादा हरियाली बढ़ती दिख रही है। अतः जमीन के सभी भागो को बराबर उपजाऊ बनाने या समता लाने के लिए अलग-अलग बंधे डालने पड़ेंगे। दूसरे शब्दों में कमजोर जमीन मे दिये गये खाद पानी को रोके रखने के लिए समाजिक वर्गीकरण करना पड़ेगा। कयोकि अभी तो दिया जा रहा खाद पानी कमजोर से बलवान की तरफ ही पहुंच रहा है। इस जमीन को बंधे डालकर ही विभाजित करना होगा।जिससे ओबीसी की पूरी जमीन को पानी मिल सके और कमजोर जमीन भी उपजाऊं हो सके । इसके लिए सिद्धांततः ओबीसी का विभाजन करना ही लाभदायी होगा । सामाजिक वर्गीकरण भी एक प्रकार से क्रीमी लेयर को पहचान कर अलग रखने जैसा ही है। कृ इस सिद्धांत को समझें, विचार करें और प्रतिक्रिया भी दे।