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संसद हो या विधानसभाएं, हर जगह हो रहा हंगामा संसदीय लोकतंत्र पर सवाल खड़े कर रहा है
PUBLISHED :
Jul 28 , 10:18 AM
भारत की संसदीय प्रणाली दुनिया में लोकप्रिय एवं आदर्श है, बावजूद इसके सत्ता की आकांक्षा एवं राजनीतिक मतभेदों के चलते लगातार संसदीय प्रणाली को धुंधलाने की घटनाएं होते रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। अब संसद की कार्रवाई को बाधित करना एवं संसदीय गतिरोध आमबात हो गयी है। न केवल संसद बल्कि राज्यों की विधानसभाओं में समुचित रूप से विधायी कार्य न हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण है। संसद एवं विधानसभाएं ऐसे मंच हैं जहां विरोधी पक्ष के सांसद एवं विधायक आलोचना एवं विरोध प्रकट करने के लिये स्वतंत्र होते हैं, लेकिन विरोध प्रकट करने का असंसदीय एवं आक्रामक तरीका, सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तकरार और इन स्थितियों से उत्पन्न संसदीय गतिरोध लोकतंत्र की गरिमा को धुंधलाने वाले हैं। अपने विरोध को विराट बनाने के लिये सार्थक बहस की बजाय शोर-शराबा और नारेबाजी की स्थितियां कैसे लोकतांत्रिक कही जा सकती है?
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डिजिटल शासन की चुनौतियां
PUBLISHED :
Jul 27 , 6:45 AM
भारत में हर पांचवां व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे है और हर चौथा नागरिक अशिक्षित है। समझने वाली बात यह भी है कि किसी के पास मोबाइल होना डिजिटल हो जाने का प्रमाण नहीं है, जब तक कि उसके पास इंटरनेट आदि की सुविधा व जानकारी न हो।
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आजादी का अमृत महोत्सव
PUBLISHED :
Apr 03 , 6:49 PM
चौथा तरीका सुभाष चंद्र बोस का था, जो कांग्रेस के कार्य करने के तरीके से असंतुष्ट थे। उन्होंने विश्व में ब्रिटेन की विरोधी शक्तियों से तालमेल बिठा कर भारत से ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ने के लिए ब्रिटेन सरकार द्वारा गठित की गई भारतीय सेना में कार्य कर रहे भारतीयों से तारतम्य बिठा कर सेना में ही अंग्रेज़ सरकार के खिलाफ विद्रोह की भावना पैदा कर दी थी। आज़ाद हिंद फौज के नाम से स्वतंत्र भारत की अपनी सेना गठित की। देश का कुछ हिस्सा अंग्रेज़ी शासन से मुक्त भी करवा लिया और देश के पहले प्रधानमंत्री की शपथ भी ली। यानी कुल मिला कर देश में आज़ादी की लड़ाई में चार धाराएं सक्रिय थीं। 1947 में अंग्रेज़ तो यहां से चले गए, लेकिन पुर्तगालियों व फ्रांसीसियों से मुल्क के हिस्से आज़ाद करवाने में और भी समय लगा। देश के स्वतंत्र हो जाने के बाद देसी सरकारों ने स्वतंत्रता संग्राम में से कांग्रेस को छोड़कर अन्य तीन धाराओं के योगदान की चर्चा करना ही बंद कर दिया…
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चीन की आक्रामक नीति भारत के लिये खतरा
PUBLISHED :
Feb 22 , 8:59 PM
चीन की आक्रामक नीति भारत के लिये गंभीर खतरा है, लेकिन विश्व शांति एवं संतुलित विश्व-व्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा है, अशांति का कारण है। दुनिया के अधिकांश देश अब चीन की इस मंशा से वाकिफ हैं। भारत चीन के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों की लगातार कोशिश करता है, लेकिन तनाव लगाता
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लोकतंत्र दागी राजनीति से कब मुक्त होगा?
PUBLISHED :
Feb 04 , 8:10 PM
आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए भारतीय राजनीतिक की शुचिता, चारित्रिक उज्ज्वलता और स्वच्छता पर लगातार खतरा मंडराना गंभीर चिन्ता का विषय है। स्वतंत्र भारत के पचहतर वर्षों में भी हमारे राजनेता अपने आचरण, चरित्र, नैतिकता और काबिलीयत को एक स्तर तक भी नहीं उठा सके। हमारी आबादी पचहतर वर्षों मंे करीब चार गुना हो गई पर हम देश में 500 सुयोग्य और साफ छवि के राजनेता आगे नहीं ला सके, यह देश के लिये दुर्भाग्यपूर्ण होने के साथ-साथ विडम्बनापूर्ण भी है। कभी सार्वजनिक जीवन में बेदाग लोगों की वकालत की जाती थी, लेकिन अब यह आम धारणा है कि राजनेता और अपराधी एक-दूसरे के पर्याय हो चले हैं। ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसके तथ्य भारतीय राजनीति के दागी होने की तस्वीर प्रस्तुत करते हैं, जो चौंकानेवाले एवं चिन्तनीय भी है।
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नई टीम-विकास की उड़ान: निर्माण का आह्वान
PUBLISHED :
Jul 09 , 8:30 AM
लम्बे समय से केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार की प्रतीक्षा थी, जो शुभ एवं श्रेयस्कर रूप में पूरी हुई। इस पहले बड़े विस्तार और फेरबदल से यही स्पष्ट हुआ कि नए मंत्रियों के चयन में योग्यता एवं अनुभव को प्राथमिकता देने के साथ ही क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों का भी विशेष ध्यान रखा गया। नई टीम निश्चित ही राष्ट्र के लिये विकास की उड़ान साबित होने के साथ-साथ नव-निर्माण का आह्वान है।
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कहाँ जा रही है आज की राजनीति ? देशहित से ज्यादा स्वयंहित की क्यों सोचते हैं नेता ?
PUBLISHED :
Jul 04 , 6:16 PM
राजनीति में दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की खपत को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है जो हैरान भी कर रहा है और राजनीतिक दुर्भावनाओं को उजागर भी कर रहा है। दरअसल दूसरी लहर के दौरान राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा था। उस दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत की जांच करने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट ने जबर्दस्त विवाद खड़ा कर दिया है। अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली ने अपनी जरूरत से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन की मांग के लिये दबाव बनाया। इसका असर देश के बारह राज्यों पर पड़ा और उन्हें जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं मिल पाई। हालांकि अंतिम रिपोर्ट आना बाकी है। प्रश्न अंतरिम या अंतिम रिपोर्ट का नहीं है, प्रश्न है कि देश की व्यवस्थाओं को आहत करने का। प्रश्न यह भी है कि जीवन-सुरक्षा से जुड़े मसलों पर राजनीति क्यों और कब तक होती रहेगी?
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आतंकवादी ड्रोन से जुड़े नये खतरे
PUBLISHED :
Jun 29 , 7:26 AM
चीन यह चाहता है कि भारत पर दबाव बना रहे। चीन को पता है कि उसे टक्कर देने वाला एकमात्र भारत ही है, अतः वह भारत को आतंकवाद व अशांति में उलझाए रखना चाहता है। इसलिये चीन पाकिस्तान को हर संभव सहायता देता है, नयी तकनीक एवं नये हथियार देकर वह उसे भारत पर हमले करने के लिये उकसाता रहता है। जैसे शांति, प्रेम, अहिंसा खुद नहीं चलते, चलाना पड़ता है, ठीक उसी प्रकार आतंकवाद भी दूसरों के पैरों से चलता है। जिस दिन उससे पैर ले लिए जाएँगे, वह पंगु हो पाएगा। इसलिये पाकिस्तान को पंगु करना आतंकवाद को समाप्त करने का प्रथम पायदान है।
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संत शिरोमणि कबीर सर्वधर्म सद्भाव के प्रतीक थे
PUBLISHED :
Jun 15 , 7:14 AM
संत कबीर भारतीय संत परम्परा के महान् हस्ताक्षर, समाज-सुधारक हंै। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ, जब भारतीय समाज और धर्म का स्वरूप रूढ़ियों एवं आडम्बरों में जकड़ा एवं अधंकारमय था। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांधता से जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी और दूसरी तरफ हिंदूओं के कर्मकांडों, विधानों एवं पाखंडों से धर्म-बल का हृास हो रहा था। ऐसे समय में कबीर एक रोशनी बनकर समाज को दिशा दी। वे अध्यात्म की सुदृढ़ परम्परा के संवाहक थे।
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लेडी विद द लाइट’ के लिये इम्पैक्ट गुरु की सार्थक पहल
PUBLISHED :
May 14 , 5:16 PM
इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर इम्पैक्ट गुरु फाउंडेशन ने अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के साथ साझेदारी में अपनी अलग तरह की एक अनूठी सामाजिक प्रभाव परियोजना ‘एंजल #थैंक ए नर्स’ की घोषणा करते हुए संकल्प व्यक्त किया गया कि अगले कुछ वर्षों में पूरे भारत में एक लाख से अधिक नर्सों को सशक्त बनाया जायेगा। एंजल का मतलब एडवांस नर्सेज की ग्रोथ, एक्सीलेंस एंड लर्निंग है।
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मां संस्कार ही नहीं, शक्ति की दात्री है
PUBLISHED :
May 07 , 3:30 PM
अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस सम्पूर्ण मातृ-शक्ति को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिवस है, जो प्रतिवर्ष मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, जिसे मदर्स डे, मातृ दिवस या माताओं का दिन चाहे जिस नाम से पुकारें यह दिन सबके मन में विशेष स्थान लिये हुए है। अमेरिका में मदर्स डे की शुरुआत 20वीं शताब्दी के आरंभ के दौर में हुई। विश्व के विभिन्न भागों में यह अलग-अलग दिन मनाया जाता है। मदर्ड डे का इतिहास करीब 400 वर्ष पुराना है। प्राचीन ग्रीक और रोमन इतिहास में मदर्स डे मनाने का उल्लेख है। भारतीय संस्कृति में मां के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा रही हैं, यही कारण है कि आधुनिक तरीकों से मनाये जाने वाले मातृत्व दिवस के प्रति भी लोगों में अपूर्व उत्साह है।
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लोगों को सिर्फ भगवान भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, सरकारों को बड़े कदम उठाने होंगे
PUBLISHED :
Apr 26 , 3:00 PM
कोरोना संक्रमण के तीन लाख से अधिक प्रतिदिन पीड़ितों की भयावहता भारतीयों को न केवल डरा रही है, बल्कि पीड़ित भी कर रही है। कोरोना के शिकार लोगों की तादाद का हर दिन नया आंकड़ा छूता दर्दनाक मंजर किसी बड़ी तबाही से कम नहीं है। पिछले दिनों महाराष्ट्र सहित देश के के कुछ अस्पतालों से विचलित करने वाली कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आयी, जिन्हें देखकर समूचा देश दहल गया। कल कहीं हमारी बारी तो नहीं ? तय है, दर्दनाक दिन लौट आए हैं, अंधेरा घना है। सम्पूर्ण भारतीयों का जीवन संकट में है। लेकिन विडम्बना देखिये कि जब देश की स्वास्थ्य सेवाएं चौपट हो चुकी हैं, सरकारें पस्त हैं, जीवन दांव पर लगा है, तब भी प्रांतों की सरकारें एवं राजनीतिक दल औछी राजनीति कर रहे हैं।
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ब्राजील में टीके के ट्रायल में शामिल एक वालंटिअर की अचानक मौत
PUBLISHED :
Oct 22 , 9:21 AM
कोरोना वैक्सीन पर इस वक्त एक बड़ी खबर ब्राजील से आ रही है। यहां कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में शामिल एक वालंटिअर की अचानक मौत हो गई है। ब्राजील की स्वास्थ्य एजेंसी एविसा ने बुधवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की जा रही कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में शामिल एक वालंटिअर की मौत हो गई है। इसके साथ ही ब्राजील की स्वास्थ्य एजेंसी एविसा ने कहा कि इसके बावजूद वैक्सीन का ट्रायल जारी रहेगा।
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