कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, क्या है व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त... जानने के लिए पढ़ें
PUBLISHED : Sep 02 , 10:29 AM
कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, क्या है व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त... जानने के लिए पढ़ें
हर साल की तरह इस बार भी जन्माष्टमी मनाने को लेकर कन्फ्यूजन हो गया है।
जन्माष्टमी 2 सितंबर यानी आज है या तीन सितंबर को।
ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल रक्षा बंधन के बाद मनाई जाती है। हर साल की तरह इस बार भी यह कन्फ्यूजन हो गया है कि जन्माष्टमी 2 सितंबर को है या तीन सितंबर को। दरअसल एक बात यहां समझने की है कि हिंदू धर्म में दो तरह की तिथि को लोग मानते हैं, कुछ लोग उदया तिथि को मानते हैं और उसके अनुसार व्रत करते हैं। दूसरी तरफ कुछ लोग उदया तिथि को नहीं मानते हैं। भगवान कृ्ष्ण के पावन धाम वृंदावन में भी जन्माष्टमी इस बार धूमधाम से मनाए जाने की तैयारियां जोर-शोर से की गई हैं।
कब मनाई जाती है जन्माष्टमी?
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनार्इ जाती है। इस बार यह पर्व 2 सितंबर को पड़ रहा है, लेकिन इस बार भी कई लोग इसे 2 सितंबर और 3 सितंबर को अलग-अलग मनाएंगे। व्रत वाले दिन, स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद पूरे दिन उपवास रखकर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है। व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण भगवान के जन्म के बाद किया जाता है। यकीनन हिंदू धर्म में किसी व्रत और जन्मोत्सव को मनाई जाने वाली यह सबसे अनोखी परंपरा है जब भगवान कृ्ष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
वैष्णव और स्मार्त?
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम के अनुसार जो लोग गृहस्थ धर्म में रहते हैं और जो साधु संन्यासी होते हैं तो दोनों के व्रत अलग-अलग हो जाते हैं। स्मार्त यानी वेद-पुरान गायत्री के उपासक एवं धर्म शास्त्र को मानने वाले पंच देव उपासक भी स्मार्त हैं। वैष्णव यानी वैष्णव सम्प्रदाय को मानने वाले लोग। इनमें वे धर्मपरायण लोग जिन्होंने किसी वैष्णव संप्रदाय के गुरु से दीक्षा ग्रहण की हो। जन्माष्टमी का व्रत इस बार भी दो दिनों का है। दो दिनों का यह व्रत स्मार्त और वैष्णवों के लिए बांटा गया है। इस बार 2 सितंबर का दिन जन्माष्टमी स्मार्त लोगों के लिए होगा, यानी इस दिन स्मार्त रविवार को जन्माष्टमी का व्रत रख सकते हैं और रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाएंगे। साथ ही सोमवार यानी 3 सितंबर को वैष्णव लोग जन्माष्टमी मनाएंगे। दरअसल वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की धूम दो दिन पहले से ही रहती है।
क्या है जन्माष्टमी का मुहूर्त?
ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम बताते हैं कि इस वर्ष जन्माष्टमी का विशेष उदयात पुण्य काल पर्व 3 सितम्बर सोमवार को पड़ रहा है। भारतीय समयानुसार रविवार रात्रि 8 बजकर 47 मिनट से लेकर अगले दिन सोमवार शाम 7 बजकर 20 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी। रविवार को ही रोहिणी नक्षत्र रात्रि 8 बजकर 49 मिनट से लेकर सोमवार को रात्रि 8 बजकर 5 मिनट रहेगा। शास्त्र के अनुसार जो तिथि व नक्षत्र सूर्य के समय रहता है वह तिथि सर्वदिन मान्य होती है। अतः हम सभी को 3 सितंबर को वैष्णव जन सहित जन्माष्टमी मनानी चाहिए।