पांच साल बाद बन रहा शुभ योग : करवा चौथ
PUBLISHED : Oct 18 , 6:40 AM
पांच साल बाद बन रहा शुभ योग : करवा चौथ
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को पड़ रही है. खास बात ये है कि पांच साल बाद फिर इस करवा चौथ पर शुभ योग बन रहा है. करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. रात में चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है

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करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. रात में चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को ये व्रत रखा जाता है.
हिंदू धर्म में करवा चौथ सुहागन स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन सुहागिनें पति की दीर्घायु व सुखी वैवाहिक जीनव की कामना के लिए निर्जला (बिना पानी के) उपवास रखती हैं। हर सुहागिन स्त्री के लिए इस दिन का बेसब्री से इंतजार होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ का व्रत किया जाता है। इस दिन महिलाएं रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात व्रत का पारण करती हैं। इस बार करवाचौथ का व्रत बेहद खास होने वाला है क्योंकि इस वर्ष करवा चौथ पर शुभ संयोग बन रहा है।
करवा चौथ पर बन रहा है ये शुभ संयोग-
इस बार करवा चौथ पर शुभ संयोग बनने के कारण इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार करवा चौथ पर चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित होगा। धार्मिक दृष्टि से यह नक्षत्र बेहद ही शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं इसलिए माना जाता है कि इस नक्षत्र में चंद्रमा दर्शन करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
करवा चौथ चंद्रमा निकलने का समय व शुभ मुहूर्त-
इस बार करवा चौथ को यानी 24 अक्टूबर को चंद्रमा निकलने के समय रात्रि 08 बजकर 07 मिनट रहेगा।
कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि आरंभ- 24 अक्टूबर 2021 रविवार को सुबह 03 बजकर 01 मिनट से
कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर 2021 को सुबह 05 बजकर 43 मिनट पर
पूजन का समय- 24 अक्टूबर शाम 05 बजकर 42 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तक
कुल मिलाकर पूजा की अवधि 01 घंटा 17 मिनट की रहेगी।
शुभ मुहूर्त में पूजन करने के बाद रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें।
पूजन विधि-
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर अपने घर की परंपरा के अनुसार सरगी में बनी हुई चीजें खानी चाहिए।
स्नानादि करने के पश्चात मंदिर में दीपक प्रज्वलित करके व्रत का संकल्प लें और निर्जला उपवास करें।
शुभ मुहूर्त में देवी-देवताओं की तस्वीर स्थापित करें और पूजन व कथा पढ़ें।
चंद्रमा निकलने से पहले ही एक थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि रख लें।
टोटी वाले एक लोटे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें व मिट्टी के बने करवा में चावल भरकर उसमें दक्षिणा के रुप में कुछ पैसे रख दें।
एक थाली में श्रंगार का सामान भी रख लें।
चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र दर्शन व पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
जल पीकर व्रत का पारण करें व अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।