प्रजापति समाज के समाजसेवी आधार स्तम्भ वरिष्ठ पत्रकार सोहन लाल मधुप का निधन ! देश में छायी शोक की लहर प्रजापति आवाज ने दी श्रृद्धांजली
PUBLISHED : Oct 14 , 9:18 PM
प्रजापति समाज के समाजसेवी आधार स्तम्भ वरिष्ठ पत्रकार सोहन लाल मधुप का निधन ! देश में छायी शोक की लहर प्रजापति आवाज ने दी श्रृद्धांजली
सत्यवीर सिंह खेड़ा वरिष्ठ समाजसेवी
अखिल भारतीय प्रजापति ( कुम्भ) संघ के संस्थापक सदस्य श्री सोहन लाल 'मधुप' जी का उनके दिल्ली स्थित आवास पर देहांत हो गया ! संघ में उनके साथ सहयोगी के तौर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के लिये यह एक बहुत ही दुखद समाचार है ।*
प्रजापति समाज के जो समाजसेवी आधार स्तम्भ रहे हैं, और जो आने वाले समय में कार्यकर्ताओं को सामाजिक काम करने के लिये निरन्तर प्रेरणा देते रहेंगे, श्री 'मधुप' जी का नाम उनमें शामिल है । क्षणिक आवेश में सामाजिक कार्य करना अलग बात है और निरन्तर बाधाओं व अभावों व पारिवारिक कष्टों को जूझते हुए सामाजिक कार्य करना अलग बात है ।
श्री 'मधुप' जी ऐसे ही योद्धा थे जिन्होंने अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूर्ण करने के लिये किसी भी प्रकार की बाधाओं व कठिनाइयों के सामने घुटने नहीं टेके । और बड़ा आश्चर्य यह होता था कि उनके चेहरे पर उनकी व्यक्तिगत पीड़ाओं को कभी नहीं देखा गया । जब भी मिलते थे, अपनी व्यक्तिगत कठिनाइयों की कभी चर्चा नहीं करते थे ।
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के अमृताखास गांव में जन्मे श्री 'मधुप' जी के जीवन की शुरुआत एक पत्रकार व लेखक के तौर पर हुई । अपनी शिक्षा पूर्ण करके उन्होंने अपना सार्वजनिक जीवन दिल्ली के असफ अली रोड स्थित अंतरराष्ट्रीय आर्य प्रतिनिधि सभा की पत्रिका 'सार्वदेशिक' के पत्रकार के रूप में प्रारम्भ किया । वहां इनका सम्पर्क डी ए वी मैनेजमेंट कमेटी के श्री दरबारी लाल जी से आया । श्री दरबारी लाल जी प्रजापति समाज की मूक रहकर निरन्तर सेवा करते रहते थे । उन्होंने श्री 'मधुप' जी को डी ए वी मैनेजमेंट कमेटी में अपने साथ आने का न्यौता दिया । इसी संस्थान में श्री 'मधुप' जी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय का निर्वाहन किया ।
इसी दौरान इन्होंने कुरुक्षेत्र व पंजाब विश्वविद्यालयों के तत्कालीन वाईस चांसलर श्री सूरज भान जी के हिंदी सहयोगी के नाते से कार्य किया ।*
डी ए वी में इनका सम्पर्क समाजसेवी श्री संत राम प्रजापति जी से भी आया । यह इनकी सामाजिक सक्रियता का ही परिणाम था कि श्री 'मधुप' जी डी ए वी के कर्मचारियों की यूनियन के कई वर्ष तक अध्यक्ष रहे । इस यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर इनके अनन्य सहयोगी श्री सन्त राम प्रजापति जी भी वर्षों तक इनके सहयोगी रहे । डी ए वी मैनेजमेंट कमेटी के उनके पुराने साथी आज भी उनके काम करने की शैली और उनके हंसमुख स्वभाव के कारण उन्हें याद करते हैं ।
दिल्ली प्रदेश प्रजापति सभा से उनका सम्पर्क आया और सभा ने उन्हें अपनी पत्रिका 'प्रजापति ज्योति' के सम्पादन का कार्य सौंपा । कुछ दिन इस पत्रिका का सम्पादन करने के उपरांत किन्हीं कारणों से उन्हें इससे अलग होना पड़ा और तब इनके मन में अपनी स्वयं की पत्रिका 'प्रजापति जगत' चलाने का विचार आया । इस पत्रिका 'प्रजापति जगत' का नाम प्रजापति समाज के सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिये एक महत्वपूर्ण नाम बन गया । देश के कौने कौने में होने वाली प्रजापति समाज की गतिविधियों की इस पत्रिका में उपलब्धता होने के कारण से समाज की यह प्रतिनिधि पत्रिका बन गई थी । पचास वर्ष तक पत्रिका चलाना निश्चित रूप से बहुत ही कठिन काम है जिसे कि श्री 'मधुप' जी ने बखूबी अंजाम दिया । पत्रिका चलाने में ये इतना मगन हो गये थे कि पत्रिका और श्री 'मधुप' जी का नाम एक दूसरे का पर्याय बन गए थे । इस पत्रिका में स्वतंत्रता सेनानी स्व. श्री संत राम बी ए जी के लेखों की धाराप्रवाह श्रृंखला के प्रकाशन से इन्होंने इस पत्रिका को समाजोपयोगी बना दिया । हम अपने समाज के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्री संत राम बी ए के बारे में इस पत्रिका के माध्यम से ही जान पाए ।
सच तो ये है कि 'प्रजापति जगत' एक पत्रिका मात्र नहीं थी, यह उस दौरान के प्रजापति समाज से जुड़े हुए कार्यक्रमों व सामाजिक न्याय के आंदोलनों का एक जीता जागता ऐतिहासिक दस्तावेज था । अस्वस्थता के दौर में से गुजर रहे श्री 'मधुप' जी की अपेक्षा थी कि पत्रिका जीवित रहे किन्तु ऐसा हो ना सका और लगता है कि श्री सोहन लाल 'मधुप' जी के साथ साथ यह पत्रिका भी हम से हमेशा के लिए विदा हो जाएगी ।
सन 1978 में श्री सोहन लाल 'मधुप' जी, श्री संत राम प्रजापति व स्व. सुरेंद्र वर्मा ने मिलकर समाज के कार्यों को एक दिशा देने के लिये एक संगठन बनाने के विचार पर काम करना शुरू किया । इसी वर्ष 11 जून 1978 को दिल्ली के कनाट प्लेस स्थित नगर पालिका टाउन हॉल में प्रजापति समाज का एक सम्मेलन करवाया गया । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा के प्रजापति समाज के विधायक स्व. श्री जय नारायण वर्मा जी ने की । इसे सफल बनाने में श्री 'मधुप' जी की बहुत अहम भूमिका रही ।
इन्हीं सारी गतिविधियों के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आया -'अखिल भारतीय प्रजापति (कुम्भ) संघ' । दूसरे शब्दों में अगर कहें कि समाज के विशाल संगठन अखिल भारतीय प्रजापति ( कुम्भ ) संघ के संस्थापक भी थे श्री 'मधुप' जी, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी । इस संगठन में भिन्न भिन्न दायित्वों को संभालते हुए श्री 'मधुप' जी संगठन का विस्तार करते रहे । संगठन को जुझारू स्वरूप देने और इसे कई आंदोलनों में भागीदारी कराने में इनकी अहम भूमिका थी । इनकी समाज के प्रति जिम्मेदारी की प्रवृत्ति व कुछ कर जाने का जनून ही इन्हें इतने वर्ष तक सक्रिय सामाजिक जीवन में बनाये रख सके । साथ ही प्रजापति जगत का सम्पादन कार्य भी निरन्तर चलता रहा ।
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में सन 1988 में प्रजापति समाज का एक विशाल ऐतिहासिक सम्मेलन हुआ था, जिसमें देशभर से समाज के लोग आए थे । इस सम्मेलन का मौलिक विचार श्री सोहन लाल 'मधुप' जी का ही था । उन्होंने ना सिर्फ 'संघ' के कार्यकर्ताओं को यह सम्मेलन करने का विचार दिया, बल्कि इसे सफल बनाने के लिए दिन रात मेहनत की ।
सन 2001 के विश्व प्रजापति सम्मेलन को आयोजित करने तथा उसे सफल बनाने में उनकी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही ।*ये दोनों अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन प्रजापति समाज की आंदोलन यात्रा के मील के पत्थर साबित हुए । श्री सोहन लाल 'मधुप' जी व अन्य संस्थापकों का यह मत था कि समाज का राजनीतिकरण हुए बिना हम तरक्की नहीं कर सकते । इसलिये उन्होंने 'संघ' को अधिकाधिक राजनीतिक गतिविधियों की ओर प्रवृत्त किया
सामाजिक न्याय की लड़ाई में श्री 'मधुप' जी तथा उनके द्वारा स्थापित 'संघ' निरन्तर आंदोलनरत रहे । मण्डल आयोग' की सिफारिशों को लागू करने के लिये चलाये जा रहे आंदोलन में सक्रिय भागीदारी* *सुनिश्चित करने के लिये एम एल ए स्व. श्री जय नारायण वर्मा जी के नेतृत्व में मोर्चा खोला गया जिसमें श्री सोहन लाल 'मधुप' जी, श्री संत राम प्रजापति जी, स्व. श्री सुरेंद्र वर्मा जी आदि अनेकों कार्यकर्ताओं ने आंदोलन को मजबूत बनाने के लिये काम किया ।
श्री सोहन लाल 'मधुप' जी व संघ के अन्य पदाधिकारियों ने सामाजिक न्याय के पुरौधा बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. श्री कर्पूरी ठाकुर से भेंट की । उसी दिन मण्डल आयोग के अध्यक्ष श्री बिन्देसरी प्रसाद मण्डल से भी मुलाकात की । आयोग के सामने अति पिछड़ी जातियों का पक्ष बड़ी बेबाकी से रखा । शिक्षा हासिल करने में शहर के बच्चों की तुलना में गांव के बच्चों द्वारा झेली जा रही अतिरिक्त कठिनाइयों का जिक्र भी 'संघ' के प्रतिनिधिमंडल ने किया । 'संघ' के पदाधिकारियों ने इसके लिये समर्थन जुटाने के लिये कश्मीर से कन्याकुमारी तथा असम से गुजरात तक घूम घूम कर लोगों से सम्पर्क किया । 'प्रजापति जगत' के माध्यम से देश भर में जागरूकता उत्पन्न की । और अंततः मण्डल के रूप में ओबीसी समाज को कुछ हिस्सा भी हासिल हो सका ।
आज श्री सोहन लाल 'मधुप' जी एकाएक हमको छोड़कर चले गए हैं । उनका समर्पण व निरन्तरता हम कार्यकर्ताओं को बरसों प्रेरणा देती रहेगी ।
! उनके चरणों में श्रद्धांजलि !