महाकाल लोक कॉरिडोर में घोटाले को लेकर एमपी कांग्रेस हाईकोर्ट जाएगी
PUBLISHED : Jun 01 , 9:48 AM
► महाकाल लोक कॉरिडोर में घोटाले को लेकर एमपी कांग्रेस हाईकोर्ट जाएगी
► महाकाल लोक में भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की क्रोनोलॉजी भगवान महाकाल के कोप ने खोली भ्रष्टाचार
की पोटलियां : सज्जनसिंह वर्मा
कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि वह उज्जैन के 'महाकाल लोक' कॉरिडोर में कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर हस्तक्षेप के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। विपक्ष ने उज्जैन के जिला कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि अधिकारी ने 'मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कठपुतली' की तरह काम किया है।
भोपाल में पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा और शोभा ओझा, जो मंगलवार को महाकाल लोक कॉरिडोर का दौरा करने वाले सात विपक्षी नेताओं में शामिल थे, ने सत्तारूढ़ भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि चीन की स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल 'सप्तर्षि' की मूर्तियों के निर्माण के लिए किया गया था।
सज्जन सिंह वर्मा ने कहा, सप्तर्षि प्रतिमाओं में चाइनीज जाली का प्रयोग किया गया था तथा अन्य सामग्री भी उत्तम गुणवत्ता की नहीं थी। बची हुई प्रतिमाओं का रंग भी फीका पड़ गया है। परियोजना में सामग्री की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रयोगशाला स्थापित करने का प्रावधान था। मूर्तियों के निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन यह स्थापित नहीं किया गया था और परियोजना का उद्घाटन किया गया था। वहां स्थापित मूर्तियां 3 लाख रुपये से अधिक नहीं हैं, लेकिन मप्र सरकार ने प्रत्येक मूर्ति के लिए 10-12 लाख रुपये का भुगतान किया है।
उन्होंने आगे दावा किया कि क्षतिग्रस्त मूर्तियों को एक छिपे हुए स्थान पर रखा गया और उनको जोड़ा जा रहा है। वर्मा ने कहा, एक तरफ सीएम चौहान ने कहा कि क्षतिग्रस्त मूर्तियों को नई से बदल दिया जाएगा, लेकिन हमने पाया है कि क्षतिग्रस्त मूर्तियों को छिपे हुए स्थान पर पुनर्विकास किया जा रहा था। हम निरीक्षण के अपने निष्कर्षो के आधार पर सवाल उठा रहे हैं और सीएम चौहान और (राज्य शहरी विकास मंत्री) भूपेंद्र सिंह को चुनौती दे रहे हैं कि हमें गलत साबित करें।
यह पूछे जाने पर कि जब उज्जैन के जिला कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने कहा है कि 'तेज हवा के कारण मूर्तियां गिर गईं और किसी भी जांच की कोई आवश्यकता नहीं है, तो कांग्रेस इस मामले की न्यायिक जांच की मांग क्यों कर रही है, इस पर शोभा ओझा और सज्जन वर्मा ने कहा, "उज्जैन के कलेक्टर को अपने पद की कुछ मर्यादा बनाए रखना चाहिए था। लेकिन उन्होंने यह बयान दिया है, तो इससे पता चलता है कि वह सीएम शिवराज सिंह चौहान की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं। उनकी (कलेक्टर) भूमिका भी संदिग्ध है और हम जांच की मांग करेंगे।"
महाकाल लोक में भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की क्रोनोलॉजी भगवान महाकाल के कोप ने खोली भ्रष्टाचार की पोटलियां सज्जनसिंह वर्मा
तत्कालीन शिवराज सरकार ने योजना बनायी, जिसकी अनुमानित लागत 97 करोड़ 71 लाख रूपये थी। कमलनाथ सरकार के आने के बाद कमलनाथ जी ने इस राशि को अपर्याप्त मानते हुये इस राशि को बढ़ाकर 300 करोड़ रू. स्वीकृत किये। कार्यादेश 7 मार्च 2019 को कांग्रेस सरकार द्वारा जारी किया गया।
► एफआरपी की प्रतिमाओं की मजबूती हेतु आंतरिक लोहे का ढंाचा बनाया जाता है, जो महाकाल लोक की प्रतिमाओं में नहीं बनाया गया। प्रतिमाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली नेट की मोटायी 1200 से 1600 ग्राम जीएसएम की होना चाहिए, किंतु महाकाल लोक में स्थापित की गई प्रतिमाओं में 150 से 200 ग्राम जीएसएम की ही चाईनीज नेट उपयोग की गई।
► प्रतिमाओं को बिना बेस (फाउंडेशन) के 10 फीट ऊंचे पेडिस्टल पर सीमेंट से जोड़ा गया। इसी कारण 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की हल्की रफ्तार से चली हवा में ही प्रतिमाएं गिरकर क्षतिग्रस्त हो गईं। निविदा की शर्त क्रमांक 2 जो कि पृष्ठ क्रमांक 107 पर अंकित है, में स्पष्ट निर्देश हैं कि मूर्तियों की गुणवत्ता की जांच हेतु कार्यस्थल पर ही प्रयोगशाला स्थापित करनी होगी, जो कि नहीं की गई। यदि इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों का परीक्षण प्रयोगशाला में किया जाता तो प्रतिमाएं न ही गिरती और न ही खंडित होतीं।
► दिनांक 11 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकाल लोक का आनन-फानन में उद्घाटन किया और घोषणा की थी कि ये मूर्तियां न कभी गिरेंगी और न ही कभी बदरंगी होगीं।
► प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस दावे को चुनौती देते हुये ठीक एक माह बाद दिनांक 24 नवम्बर 2022 को स्मार्ट सिटी प्रशासन ने पीयू कलर्स बेदरकोट प्रायमर आदि का 96 लाख रू. का टेंडर निकाला, जबकि उक्त मूर्तियां तीन वर्ष की गारंटी अवधि में थीं।
► मूर्तियों के इतने कम समय में बदरंग होने की बजह निविदा शर्त के अनुसार मूर्तियों की घिसाई न होना और प्रायमर तथा बेदरप्रूफ पीयू रंग का पर्याप्त इस्तेमाल न होना है। मूर्तियों में जब साधारण रंग लगाया जाता है तभी वे बदरंग होती हैं। अब सवाल यह उठता है कि 24 नवम्बर 2022 के टेंडर के माध्यम से खरीदी गई सामग्री कहां गई। उसका उपयोग क्यों और किसलिए नहीं हुआ और क्या उक्त टेंडर के माध्यम से कागजी खरीदी की गई, यह जांच का विषय है।
► उज्जैन शहर में ही एक ही तरह की एक ही ठेकेदार द्वारा लगायी गई मूर्तियों के निर्माण की लागत में व्यापक अंतर सामने आया है। उज्जैन के स्थानीय सिंधी समाज द्वारा 25 फीट ऊंची मूर्ति का निर्माण 4 लाख 11 हजार रू. में करवाया गया। जबकि महाकाल लोक में 15 फीट ऊंची प्रतिमा का भुगतान 10 लाख 2 हजार रू. किया गया। साधारण गणित के आधार पर 15 फीट ऊंची प्रतिमा की कीमत अधिकतम 3 लाख रू. होना चाहिए।
► कार्यादेश की शर्त क्रमांक 2 के अनुसार प्रतिमाओं की डीएलपी (डिफेक्ट लायवेंटी पीरीयड) तीन वर्ष होने के कारण क्षतिग्रस्त मूर्तियों को महाकाल लोक के एक कौने में रिपेयर किया जा रहा है। जबकि खंडित मूर्तियों को धर्मक्षेत्र में स्थापित करना वर्जित माना जाता है।
उज्जैन कलेक्टर द्वारा पांच-सात दिनों में ही मूर्तियों की पुर्नस्थापना की घोषणा की गई, जिससे स्पष्ट है कि खंडित मूर्तियों को ही जोड़तोड़ कर पुर्नः स्थापित किया जायेगा।
► महाकाल लोक के लोक की भव्यता जिसे कमलनाथ आध्यामिक पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनाना चाहते थे, की आड़ में वर्तमान भाजपा सरकार ने दर्शनार्थियों से कई प्रकार के शुल्क वसूलकर महाकाल मंदिर में ही अव्यवस्थाओं का बोलवाला कर दिया है। आम श्रद्धालु जिससे अपने आप को ठगा महसूस करता है।
► एक महिला महामण्डलेश्वर के साथ भस्म आरती के दौरान बदसलूकी हुई जिस कारण उन्हें प्रेसवार्ता लेकर भविष्य में भस्म आरती में न आने का संकल्प लेना पड़ा। प्रशासन की इस मनमर्जी से महाकाल महत्म्य का भी नुकसान हुआ है। रात्रि 10 बजे के बाद श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाते। स्थानीय श्रद्धालु लंबे समय से अपने लिये अलग दर्शन की व्यवस्था की मांग कर रहे है।
► मंदिर प्रबंधन में भी कमीशनखोरी का बोलवाला कर दिया गया है। मप्र में बच्चों के कुपोषण में घोटाला करने वाली सरकार ने मूर्तियों को भी कुपोषित कर दिया।
(भोपाल में पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन -सज्जनसिंह वर्मा)